पैसे और शौहरत की दौड़ न ख़त्म होने वाले सिलसिले हैं ,
शहर तो बड़े हो रहे हैं पर घर छोटे हो चले हैं।
एक दिन अचानक ये सिलसिला कुछ बदला और छा गया जैसे कोई सन्नाटा ..
घर से दूर भागने वाला हर इंसान झटपट अपने घर को लौटा।
तेज भागती इस दुनिया के जैसे पहिये ही गए थम
दूर दूर तक सैर करने वाले ये पाँव जैसे घर में ही गए जम
समझ ही नहीं आ रहा था कि दुनिया किस बात पर कर रही है इतना मंथन
खुशनुमा चल रही इस ज़िन्दगी में कहाँ से आ गया ये नया व्यथण
इंटरनेट पर इस विपदा को जानने के लिए किया मैंने अपना शोध जारी
कुछ ही क्षण में समझ आ गया ये चीज़ नहीं है मामूली : ये है एक भयानक महामारी
दुनिया की तेज़ रफ़्तार पर लगा है जैसे कोई ब्रेक
यूं तो हमारे पचास अलग दुश्मन हैं पर इस बार सबका था एक
इस दुश्मन के वार से फैली है स्थिति आपातकालीन
अखबार, टेलीविज़न, हर तरफ का माहौल हो गया है ग़मगीन
थिएटर, रेस्ट्रॉं, स्कूल सब पर अब ताला लटका है
आप घर से न निकलें, इस लिए दफ्तर भी घर पर आ पहुंचा है
इस विपदा के वक़्त वैसे तो नसीहत देने की नहीं है मेरी कोई बिसात
फिर भी एक दोस्त के नाते कहती हूँ आपसे एक बात
इस घडी में घर के दरवाजे ज़रूर बंद कीजिये पर दिल के दरवाजे खोलिये
समय की दराज़ में जो किस्से पड़े हैं, उन्हें अपनों से बोलिये
लीजिये चाय की चुस्कियां साथ में, रिश्तो में मिठास घोलिये
देखिये घर पर कोई सिनेमा, उस नए गाने पर चाहे डोलिये
निकालिये उस अलमारी से कोई अपनी कोई पुरानी किताब कुछ रंग उनमें भर लीजिये
लगा लीजिये कोई नया पौधा या कोई नया व्यंजन इज़ाद कर लीजिये
जाइये अपनी बालकनी में और देखिये तारों का टिमटिमाना और सुनिए चिड़ियों का चहकना
पेड़ों में नए पत्तों का आगमन हुआ है, महसूस कीजिये फूलों का महकना
खुशनसीब है हम जो, साथ में हमारे है परिवार और रहने को एक घर
कुछ लोगों का जीवन इस आपदा में अफ़सोस हुआ है बाद से बदतर
मुसीबत में फंसे लोगों के लिएब मदद का हाथ बढ़ाएं
जो हो सके अपनी तरफ से मदद करने में न सकुचायें
इस मुसीबत की घड़ी में समाज के कई सिपाही हमारी ढाल बन कर खड़े हैं
इस बिमारी के लिए अपने परिवार को पीछे छोड़ वो रोज़ नई जंग लड़े हैं
इस दुविधा की घडी में में आपसे बस इतना सा है कहना
आपको इस जंग ले लिए बस अपने घर में है रहना
मिलकर हिम्मत रखेंगे तो ज़रूर होगी इस बीमारी की हार
याद रहे गर आज सर सलामत है तो कल पगड़ी होगी हज़ार !